पठानकोट में 50 फीसदी निजी स्कूलों के वाहनों में बच्चो की सुरक्षा को ताक पर रखा जा रहा है। ये स्कूली वाहन न सिर्फ बच्चों की जान जोखिम में डाल रहे हैं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी उलंघन्ना कर रहे हैं जिसको लेकर 7 सी न्यूज़ की तरफ से लगातार बाल सुरक्षा विभाग को खबरों द्वारा बताने की कोशिश की गई थी की किस प्रकार स्कूली वाहनों की तरफ से बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।जिसके बाद विभाग अपनी नींद से जागा और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवेहलना करने वाले स्कूली वाहनों की चेकिंग के लिए जेम्स केम्ब्रिज इंटरनेशनल स्कुल में पहुंचा मौके पर विभाग ने करीब 20 बसों की चेकिंग की जिसमें किसी भी बस में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पूर्ति नहीं की गई थी जिनके ऊपर कार्रवाई करने के लिए बाल सुरक्षा विभाग के जिला अधिकारी उषा की तरफ से स्कुल; की मैनजमेंट से वाहनों के कागजात मंगवाए गए करीब दो घंटे के इंतजार के बाद भी जब स्कुल मैनजमेंट वाहनों के कागजात उपलब्ध नहीं करवा सका तो जिला अधिकारी बिना कोई कार्रवाई किए वहां से चलती बनी और बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर से सवाल खड़े हो गए इसमें एक बात तो देखने वाली थी की बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले सारे पहलू फीके नजर आए विभाग कागजात मांगता रहा और स्कुल मैनजमेंट टाल मटोल करता रहा।
7 सी न्यूज़ टीम की तरफ से स्कूली वाहनो की हालत जाननी चाही तो वाहनों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों की एक दम से धज्जियां उड़ाई जा रही थी।जिसमें स्कूली वाहनों में बसों की खिड़कियों पर न तो जाली थी,सीसीटीवी कैमरा भी नहीं था,तेल की टंकियों के ढक्क्न भी नहीं थे,न अग्निशमन यंत्र थे,न फर्स्ट एड बॉक्स थे,न ही बस ड्राइवरों की वर्दियां थी,और कई बसों पर तो लोगो भी नहीं थे,और ज्यादा तर बस पर नंबर भी नहीं थे बल्कि जम्मूकश्मीर के ही नंबर जड़े हुए थे।यही नहीं जब टीम की तरफ से ग्राउंड की पार्किंग का दौरा किया गया तो वहां तंबाकू के लिफाफे,ताश के पत्ते दिखाई दिए जोकि स्कुल मैनजमेंट पर भी कई सवाल खड़े करते हैं पर जब बात बच्चों को लेकर हो तो मामला सवेंदनशील हो जाता है।पर स्कुल मैनजमेंट चंद पैसों के लिए बच्चों की सुरक्षा को ताक पर रखता है।अब देखना यह होगा की विभाग इन स्कूलों के वाहनों पर कोई कर्यवाही करता है यां बिना कार्यवाही किए केवल खानापूर्ति ही करता है।