पंजाब में शराब की आसान उपलब्धता और लोगों की सेहत के प्रति अनदेखी ही प्रदेश में लीवर के मरीजों में एकाएक वृद्वि का कारण है। लीवर रोग में 50 पचास फीसदी तक के मरीजो का कारण शराब का सेवन है जिससे की यह आंकडे बडे चितंाजनक है जिसके जागरुकता आवश्यक है। यह मानना है पीजीआई, चंडीगढ के पूर्व निदेशक पदमश्री डा योगेश चावला का जिन्होनें आज मोहाली सेक्टर 63 स्थित शैल्बी होस्पिटल में लीवर क्लिनिक के शुभारंभ अवसर और विभागाध्यक्ष के रुप में पदभार संभालने के दौरान कही।
डा चावला ने बताया कि ऐसे क्लिनिक की इस क्षेत्र में काफी कमी खल रही थी । डा राहुल गुप्ता भी इस क्लिनिक को अपनी सेवाये देंगें जो कि पीजीआई, चंडीगढ के हैप्टोलोजी विभाग के पूर्व फैलो भी रह चुके हैं। डा चावला ने बताया कि विदेशों में शराब सेवन न केवल एक अत्यंत मंहगा शौक है बल्कि लोग अपने सीमित सेवन के साथ अपने सेहत के प्रति काफी सजग हैं। उन्होंने बताया कि यह क्लिनिक न केवल पीजीआई की तर्ज पर अपना संचालन करेगा बल्कि टाईसिटी और आसपास के ईलाकों में लीवर से जुडे रोगियों को उनकी समास्याओं का निदान प्रदान करवायेग।
यह क्लिनिक पीजीआई की तर्ज पर ही अपना संचालन करेगा और ट्राईसिटी और आसपास के ईलाके में जीगर से जुडे रोगियों को उनकी समस्याओं का निदान प्रदान करवायेगा।
डा राहुल गुप्ता ने लीवर से जुडी हुई बीमारियों के बारे में बताते हुये कहा कि उत्तरी भारत में अधिकतर लोगो क्रोनिक लीवर की बीमारियों से ग्रस्त हैं जो उन्हें अपने माता पिता से विरासत में प्राप्त होती है। यह रोग उन्हें 40 से 50 वर्ष के आयु में होते है जिससे की उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। इसके बावजूद 50 फीसदी जो लोग ऐसे होते है जो मैडीकल परामर्श के लिये आते है, उनके लीवर संबंधित रोग एडवांस स्टेज की सीमा को भी लांघ चुके होे हैं । इन रोगों में मुख्य रुप से पीलिया, मुंह व चूतड से खून निकलना, पेट में पानी का जमाव आदि शामिल है। चालीस फीसदी मरीज की गणना उन श्रेणी में होती है जो अत्याधिक मात्रा में शराब का सेवन करते हैं जबकि 34 फीसदी लोगों में हैपाटाईटिस बी और हैपाटाईटिस सी से ग्रस्त होते हैं। इसके समाधान में उन्होनंे शराब और ध्रुमपान का ने सेवन, सादा आहार और दैनिक व्यायाम के गुर बताये।