पिछले दिनों ट्रक के नीचे कुचले जाने वाले 10 वर्षीय अतुल की मौत भी ट्रस्ट प्रशासन की न तो आंखे खोल सकी और न ही उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर सकी की इंसानी जाने बेशकीमती होती है नहीं तो ट्रस्ट की जगह पर नाजायज पार्किंग बनाकर अपना उल्लू सीधा करने वाले ट्रकों के मालिकों पर अब तक ट्रस्ट शिकंजा खींच चुकी होती अफ़सोस की बात तो यह है की ट्रस्ट की ओर से दिखाई जा रही लापरवाही और नजर अंदाजी यही प्रमाणित करती है के उन्हें किसी से कुछ लेना-देना नहीं है केवल अतिक्रमण के नाम पर दिखावा करना ही उन्हें अच्छा लगता है। गौर तलब है की पिछले लम्बे समय से सैली रोड पर बड़े-बड़े व्यवसाय करने वाली कुछ निजी फर्मों के ट्रक सैली रोड पर स्थित ऑडिटोरियम के साथ लगती ट्रस्ट की जमीन पर पार्किंग बनाए अपना अड्डा जमाए हुए हैं जिसके चलते आए दिन यहां पर इन ट्रकों की वजह से कोई न कोई हादसे भी होते रहते हैं और इनके आने- जाने व लोडिंग-अपलोडिंग के कारण लगातार मिटटी और धूल हर वक्त उड़ती हुई प्रदूषण को बढ़ावा देती रहती है। जिससे आसपास के रिहायशी क्षेत्र को भी लंबे समय से दिक्क्तें हो रही है और यहां बनी झुग्गी-झोंपड़ी वालों ने भी अपना रोष व्यक्त करते हुए कहा है के सर्दियों में यह खुली जगह उनके बच्चों के खेलने के काम भी अब नहीं आती है क्यूंकि तेज रफ्तार और ओवरलोडिड ट्रक कब किस तरफ से यहां आ धमके कुछ कहा नहीं जा सकता और उस पर आलम यह है कि यह ट्रक चालक बिना देखे-सुने अपना काम करते है जिनका गैर जिम्मेदाराना रवैया ही दस वर्षीय अतुल की जान ले गया। अतुल के प्रियजनो ने यह भी कहा की अब उन्हें हर वक्त का यह डर बना हुआ रहता है कि अतुल की तरह अन्य बच्चों की भी जाने इन ट्रकों की भेंट न चढ़ जाएं इसलिए ट्रस्ट इन्हे जल्द से जल्द हटवाए और उन्हें राहत दे।